शिव तांडव स्तोत्र | Shiv Tandav Stotram Lyrics in Hindi

शिव तांडव स्तोत्र | Shiv Tandav Stotram Lyrics in Hindi

भगवान शिव लेकर यह बात प्रचलित है कि उन्हें मनाना बेहद आसान है। आप जिस भी प्रकार, जिस भी व्यवस्था में भगवान शिव को सच्चे मन से याद करते हैं तो आप की भक्ति से वह बेहद जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। ऐसे में अगर आप किसी कष्ट या किसी अप्रिय स्थिति में पड़े हैं, तो आप ‘शिव तांडव स्त्रोत‘ का पाठ कर सकते हैं।

शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से क्या होता है ?

  • इस स्त्रोत में इतनी शक्ति है कि आपके सभी कष्ट भगवान शिव हर लेते हैं।
  • कहा जाता है कि ‘शिव तांडव स्त्रोत’ का पाठ करने वाला कभी भी निर्धन नहीं रहता है तथा उसकी आर्थिक समस्याएं बेहद जल्दी संभल जाती हैं।
  • इसके अलावा जो लोग साधना करते हैं, चाहे वह नृत्य, चित्रकला, योग, समाज, लेखन आदि से ही जुड़े क्यों न हों, वो अगर शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करते हैं तो उन्हें साधना में सिद्धि प्राप्त होती है।
  • सनातन धर्म में यह भी कहा जाता है कि अगर आप ‘शिव तांडव स्त्रोत’ का पाठ करते हैं तो किसी भी मनोकामना को पूर्ण होने में देर नहीं लगती है।
  • इसके साथ ही माँ लक्ष्मी हमेशा आपके साथ बनी रहती हैं।

 

Shiv Tandav Stotram Lyrics in Hindi

 

जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्‌।

डमड्डमड्डमड्डमनिनादवड्डमर्वयं
चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम॥1॥

 

जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी ।
विलोलवी चिवल्लरी विराजमानमूर्धनि ।

धगद्धगद्ध गज्ज्वलल्ललाट पट्टपावके
किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं॥2॥

 

धरा धरेंद्र नंदिनी विलास बंधुवंधुर-
स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मानमानसे ।

कृपाकटा क्षधारणी निरुद्धदुर्धरापदि
कवचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥3॥

 

जटा भुजं गपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा-
कदंबकुंकुम द्रवप्रलिप्त दिग्वधूमुखे ।

मदांध सिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदद्भुतं बिंभर्तु भूतभर्तरि॥4॥

 

सहस्र लोचन प्रभृत्य शेषलेखशेखर-
 प्रसून धूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः ।

भुजंगराज मालया निबद्धजाटजूटकः
श्रिये चिराय जायतां चकोर बंधुशेखरः॥5॥

 

ललाट चत्वरज्वलद्धनंजयस्फुरिगभा-
निपीतपंचसायकं निमन्निलिंपनायम्‌ ।

सुधा मयुख लेखया विराजमानशेखरं
महा कपालि संपदे शिरोजयालमस्तू नः॥6॥

 

कराल भाल पट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके ।

धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्रचित्रपत्रक-
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम॥7॥

 

नवीन मेघ मंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर-
त्कुहु निशीथिनीतमः प्रबंधबंधुकंधरः ।

निलिम्पनिर्झरि धरस्तनोतु कृत्ति सिंधुरः
कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः॥8॥

 

प्रफुल्ल नील पंकज प्रपंचकालिमच्छटा-
विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌

स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे॥9॥

 

शिव तांडव स्त्रोत हिंदी में

 

अगर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी-
रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌ ।

स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं
गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे॥10॥

 

जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुर-
द्धगद्धगद्वि निर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्-

धिमिद्धिमिद्धिमि नन्मृदंगतुंगमंगल-
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्ड ताण्डवः शिवः॥11॥

 

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंग मौक्तिकमस्रजो-
र्गरिष्ठरत्नलोष्टयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।

तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे॥12॥

 

कदा निलिंपनिर्झरी निकुजकोटरे वसन्‌
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌।

विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌कदा सुखी भवाम्यहम्‌॥13॥

 

निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।

तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः॥14॥

 

प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।

विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌॥15॥

 

इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं
पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌।

हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नांयथा गतिं
विमोहनं हि देहना तु शंकरस्य चिंतनम॥16॥

 

पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं
यः शम्भूपूजनमिदं पठति प्रदोषे ।

तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां
लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः॥17॥

 

॥ इति शिव ताण्डव स्तोत्रं संपूर्णम्‌॥

शिव तांडव स्त्रोत हिंदी में

 

 

FAQs {शिव तांडव स्त्रोत हिंदी में}

शिव तांडव स्तोत्र कैसे याद करें ?

शिव तांडव स्तोत्र को रोज पढ़के याद कर सकते है।

 

शिव तांडव स्त्रोत कब पढ़ना चाहिए?

शिव तांडव स्त्रोत को आप सुबह या शाम को पढ़ सकते है।

 

शिव तांडव स्तोत्र का रहस्य क्या है ?

शिव तांडव स्तोत्र का रहस्य जानने के लिए ये पोस्ट देखे : >>>

 

शिव तांडव स्तोत्र में कितने श्लोक हैं ?

शिव तांडव स्तोत्र में 17  श्लोक हैं।

 

 

 

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