Shiv Stuti Lyrics in Hindi | जय शिवशंकर जय गंगाधर

Shiv Stuti Lyrics in Hindi | जय शिवशंकर जय गंगाधर

श्रावण के इस महीने मे भगवान शिव की आराधना के लिए हमने दो Shiv Stuti Lyrics in Hindi में लिखी है मे लिखी है और भी भगवान शिव से जुड़ी आरती और मंत्री के लिए विजिट करे।

Shiv Stuti Lyrics

 

ॐ वन्दे देव उमापतिं सुरगुरूं, वन्दे जगत्कारणम् ।

वन्दे पन्नगभूषणं मृगधरं, वन्दे पशूनां पतिम् ॥

वन्दे सूर्य शशांक वह्नि नयनं, वन्दे मुकुन्दप्रियम् ।

वन्दे भक्त जनाश्रयं च वरदं, वन्दे शिवंशंकरम् ॥

 

जय शिवशंकर जय गंगाधर

 

जय शिवशंकर, जय गंगाधर,
करूणाकर करतार हरे।जय कैलाशी, जय अविनाशी,
सुखराशी सुखसार हरे।

जय शशिशेखर, जय डमरूधर,
जय जय प्रेमागार हरे।जय त्रिपुरारी, जय मदहारी,
नित्य अनन्त अपार हरे।

निर्गुण जय जय सगुण अनामय
निराकार साकार हरे।पारवती पति हर-हर शम्भो
पाहि-पाहि दातार हरे।।1।।

जय रामेश्वर, जय नागेश्वर,
वैद्यनाथ, केदार हरे।मल्लिकार्जुन, सोमनाथ,
जय महाकार, ओंकार हरे।

जय त्रयम्बकेश्वर, जय भुवनेश्वर,
भीमेश्वर, जगतार हरे।काशीपति श्री विश्वनाथ
जय मंगलमय अधहार हरे।

नीलकंठ, जय भूतनाथ,
जय मृतुंजय अविकार हरे।पारवती पति हर-हर शम्भो
पाहि-पाहि दातार हरे।।2।।

 

शिव स्तुति PDF

 

भोलानाथ कृपालु दयामय
अवढर दानी शिवयोगी।निमिष मात्र में देते है
नवनिधि मनमानी शिवयोगी।

सरल हृदय अति करूणासागर
अकथ कहानी शिवयोगी।भक्तों पर सर्वस्व लुटाकर
बने मसानी शिवयोगी।

स्वयं अकिंचन जन मन रंजन
पर शिव परम उदार हरे।पारवती पति हर-हर शम्भो
पाहि-पाहि दातार हरे।।3।।

आशुतोष इस मोहमयी
निद्रा मुझे जगा देना।विषय वेदना से विषयों की
मायाधीश छुड़ा देना।

रूप सुधा की एक बूद से
जीवन मुक्त बना देना।दिव्य ज्ञान भण्डार युगल
चरणों की लगन लगा देना।

एक बार इस मन मन्दिर
में कीजे पद संचार हरे।पारवती पति हर-हर शम्भो
पाहि-पाहि दातार हरे।।4।।

दानी हो दो भिक्षा में
अपनी अनपायनी भक्ति विभो।शक्तिमान हो दो अविचल
निष्काम प्रेम की शक्ति प्रभो।

त्यागी हो दो इस असार
संसारपूर्ण वैराग्य प्रभो।परम पिता हो दो तुम अपने
चरणों में अनुराण प्रभो।

स्वामी हो निज सेवक की सुन
लीजे करूण पुकार हरे।पारवती पति हर-हर शम्भो
पाहि-पाहि दातार हरे।।5।।

तुम बिन व्यकुल हूं प्राणेश्वर
आ जाओ भगवन्त हरे।चरण कमल की बॉह गही
है उमा रमण प्रियकांत हरें।

विरह व्यथित हूं दीन दुखी हूं
दीन दयाल अनन्त हरे।आओ तुम मेरे हो जाओ
आ जाओ श्रीमंत हरे।

मेरी इस दयनीय दशा पर
कुछ तो करो विचार हरे।पारवती पति हर-हर शम्भो
पाहि-पाहि दातार हरे।।6।।

जय महेश जय जय भवेश
जय आदि देव महादेव विभो।किस मुख से हे गुणातीत
प्रभुत तव अपार गुण वर्णन हो।

जय भव तारक दारक हारक
पातक तारक शिव शम्भो।दीनन दुख हर सर्व सुखाकर
प्रेम सुधाकर की जय हो।

पार लगा दो भवसागर से
बनकर करूणा धार हरे।पारवती पति हर-हर शम्भो
पाहि-पाहि दातार हरे।।7।।

जय मनभावन जय अतिपावन
शोक नसावन शिवशम्भो।विपति विदारण अधम अधारण
सत्य सनातन शिवशम्भो।

वाहन वृहस्पति नाग विभूषण
धवन भस्म तन शिवशम्भो।मदन करन कर पाप हरन धन
चरण मनन धन शिवशम्भो।

विश्वन विश्वरूप प्रलयंकर
जग के मूलाधार हरे।पारवती पति हर हर शम्भो
पाहि-पाहि दातार हरे।।8।।

 

Shiv Stuti Pdf

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